वज्रासन कैसे करें
वज्रासन योग की सम्पूर्ण जानकारी – Vajrasana Yoga : Steps and Benefits
समस्त योगआसनों (Yogasana) में वज्रासन ही एक ऐसा आसन है, जिसे भोजन या नाश्ता करने के उपरांत तुरंत भी किया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिए वज्रासन अभ्यास अति लाभदायक होता है। वज्रासन हर उम्र का व्यक्ति सरलता से कर सकता है। इस कल्याणकारी आसन को अंग्रेज़ी में Diamond Pose कहा जाता है। यह आसन दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। वज्र का अर्थ कठोर/ मजबूत / प्रबल ऐसा होता है। शरीर में रक्त प्रवाह दुरुस्त करने और पाचनशक्ति (Digestive System) बढ़ाने के लिए वज्रासन एक उत्तम आसन बताया गया है। प्रतिदिन वज्रासन करने से जांघें और घुटनें मज़बूतf बनते हैं। वज्रासन करने से कमर के निचले हिस्से से पैर तक के सारे स्नायुओं को कसरत मिलती है। तथा अधिक मात्रा में भोजन कर लेने के बाद होने वाली बेचैनी वज्रासन करने से दूर हो जाती है।
वज्रासन कैसे करें – How to do Vajrasana Yoga (Vajra Pose)
हर आसन की तरह वज्रासन करने से पहले भी किसी स्वच्छ, साफ और समथल जगह को चुन कर आसन (चटाई) बिछा कर सामान्य मुद्रा में बैठ जाना होता है।
अब अपनें दोनों पैर सामनें की और फैला दें। अब अपने शरीर का वजन बाईं और थोड़ा झुका कर अपनें दाएं पैर को घुटनें से मौड कर दाएं कूल्हे के नीचे लगा दें। और फिर उसी ओर अपने शरीर का वज़न ले जा कर अपनें दूसरे पैर (बाएं पैर) को भी घुटनें से मौड कर बाएं कूल्हे के नीचे लगा दें।
ध्यान रहे की आप के दोनों परों के पंजे इस तरह मुड़े होने चाहिए की आप की तशरीफ़ उस के ऊपर आराम से रखी जा सके। पैरों की दोनों ऐडियों में इस प्रकार से अंतर होना चाहिए जिससे दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से छूने चाहिए।
अब अपनें दोनों हाथों के पंजों को अपनें घुटनों पर लगा दें। दोनों हथेलियाँ (palms) घुटनों की ओर होनी चाहिए)। वज्रासन में बैठ कर शरीर आड़ा-टेड़ा ना करें, शरीर को सीधा रखें।
अच्छी तरह से वज्रासन जमा लेने के बाद अपनें शरीर को मुक्त कर लें (Note- मुक्त करना यानी कमर को और कंधों को बैंड नहीं होने देना है, पर सीधे बैठे हुए ही relax फील करना है।)।
अब अपनें शरीर में गहरी सांस लें। ध्यान रहे की वज्रासन करते वक्त नाक से ही सांस लेनी है। मुह से सांस अंदर ना जाए, इसलिए बातें करते करते इस आसन को ना करें।
अब अपनी आँखें बंद कर के वज्रासन का आनंद लें, और सामान्य गति से सांस लेते रहें और समयान्तर पर सांस बाहर छोड़ते हैं।
शुरुआत में वज्रासन को करने पर पैरों के स्नायुओं में थोड़ा थोड़ा खिचाव महेसूस हो सकता है, पर कुछ दिनों के अभ्यास के बाद एक दम सहजता से यह आसन किया जा सकता है।
तीन से पांच मिनट वज्रासन अभ्यास कर लेने के बाद जिस क्रम में आपनें अपनें घुटनें मौड़े थें उसी क्रम में उन्हे सीधा कर लीजिये। और सामान्य मुद्रा में बैठ जाएं।
वज्रासन की समयसीमा – Time Duration Of Vajrasana
वज्रासन सुबह मेँ खाली पेट भी किया जा सकता है और भोजन के बाद भी किया जा सकता है। शुरुआत मेँ वज्रासन तीन से पाँच मिनट तक करना चाहिए। अभ्यास बढ़ जाने पर इसे अधिक समय तक (दस मिनट तक)भी किया जा सकता है। (Note – पैर दुखने लगें या कमर दर्द होने लगे उतनी देर तक वज्रासन मेँ नहीं बैठना है)
वज्रासन के फायदे – Benefits Of Vajrasana
वज्रासन करने से शरीर का वज़न कम (Weight Loss) करने मेँ सहायता मिलती है। जांघों की चर्बी घट जाती है। नितंब और जांघों का आकार सुडौल और सुंदर बनता है। पेट और कमर से भी अधिक चर्बी (Fat) कम हो जाती है। और पेट का भारी-पन दूर होता है।
वज्रासन करने से पेट के मध्यभाग पर और आंतों पर हल्का दबाव पड़ता है, इसलिए यह आसान पेट के सभी रोगों से मुक्ति पानें के लिए उपयोगी होता है। इस आसन से कब्ज़, गेस, खट्टी डकार, अपचा आदि समस्याएं दूर होती है।
वज्रासन करने से पूरे शरीर मेँ रक्त प्रवाह बेहतर तरीके से होने लगता है। और वज्रासन के नित्य अभ्यास से Sciatica जैसे भयानक रोग से भी मुक्ति मिलती है।
वज्रासन से उच्च रक्तचाप (High Blood pressure) की समस्या दूर हो जाती है। पैरों की मासपेशियाँ शसक्त बनती हैं। और वज्रासन के दौरान सामान्य गति से लंबी गहरी सांसें लेने से फेफड़ों को भी लाभ होता है।
अधिक चरबी और पेट की गैस की वजह से अगर किसी व्यक्ति की तौंद (Bally) बाहर निकल आई हों, तो ऐसे व्यक्ति के नित्य वज्रासन करने से कुछ ही दिनों मेँ पेट अंदर होने लगता है। इस आसन के प्रयोग से एक सप्ताह मेँ एक इंच तक पेट कम हो सकता है।
एकाग्रता (Concentration) शक्ति बढ़ाने के लिए और मन की चंचलता दूर करने के लिए वज्रासन उपयोगी होता है। इस आसन को करने से मानसिक तनाव भी दूर होता है।
कभी कभी पसंदीदा भोजन अधिक मात्रा मेँ खा लेनें की वजह से हृदय के नीचे और पेट के ऊपर दबाव महसूस होता है, इस समस्या को दूर करने के लिए तीन से पाँच मिनट वज्रासन पर बैठना चाहिए।
वज्रासन करने से शरीर की मांसपेशीयां लचीली बनती हैं। और शरीर का मेटाबोलिज़म(Metabolism) दुरुस्त रहता है। वज्रासन करने से Lower Back pain की समस्या दूर ही जाती है।
वज्रासन में सावधानी – Precaution/Side-Effects Of Vajrasana
वज्रासन करने वाले व्यक्ति को यह आसन हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए। टखनें, घुटनें, या एड़ियों पर किसी भी तरह का ऑपरेशन कराया हों, उन्हे यह आसन बिलकुल नहीं करना चाहिए। हड्डियों मेँ कम्पन की बीमारी वाले व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।
वज्रासन करने पर चक्कर आनें लगे, पीठ दर्द होने लगे, टखनें दुखने लगें, घुटनें या शरीर के कोई भी अन्य जौड़ अधिक दर्द करें लगे तो फौरन इस आसन का अभ्यास रोक कर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
हड्डियाँ चटकनें की बीमारी हों या फिर हड्डियों मेँ कमज़ोरी की तकलीफ रहेती हों ऐसे व्यक्तियों को वज्रासन नहीं करना चाहिए। अत्याधिक वज़न वाले व्यक्तियों को वज्रासन योगा विशेषज्ञ की देख रेख मेँ ही करना चाहिए ताकि कुछ गड़बड़ी होने पर फौरन सहायता मिल सके।
गर्भवती महिलाओं को वज्रासन बिलकुल “नहीं” करना चाहिए।
समस्त योगआसनों (Yogasana) में वज्रासन ही एक ऐसा आसन है, जिसे भोजन या नाश्ता करने के उपरांत तुरंत भी किया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिए वज्रासन अभ्यास अति लाभदायक होता है। वज्रासन हर उम्र का व्यक्ति सरलता से कर सकता है। इस कल्याणकारी आसन को अंग्रेज़ी में Diamond Pose कहा जाता है। यह आसन दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। वज्र का अर्थ कठोर/ मजबूत / प्रबल ऐसा होता है। शरीर में रक्त प्रवाह दुरुस्त करने और पाचनशक्ति (Digestive System) बढ़ाने के लिए वज्रासन एक उत्तम आसन बताया गया है। प्रतिदिन वज्रासन करने से जांघें और घुटनें मज़बूतf बनते हैं। वज्रासन करने से कमर के निचले हिस्से से पैर तक के सारे स्नायुओं को कसरत मिलती है। तथा अधिक मात्रा में भोजन कर लेने के बाद होने वाली बेचैनी वज्रासन करने से दूर हो जाती है।
वज्रासन कैसे करें – How to do Vajrasana Yoga (Vajra Pose)
हर आसन की तरह वज्रासन करने से पहले भी किसी स्वच्छ, साफ और समथल जगह को चुन कर आसन (चटाई) बिछा कर सामान्य मुद्रा में बैठ जाना होता है।
अब अपनें दोनों पैर सामनें की और फैला दें। अब अपने शरीर का वजन बाईं और थोड़ा झुका कर अपनें दाएं पैर को घुटनें से मौड कर दाएं कूल्हे के नीचे लगा दें। और फिर उसी ओर अपने शरीर का वज़न ले जा कर अपनें दूसरे पैर (बाएं पैर) को भी घुटनें से मौड कर बाएं कूल्हे के नीचे लगा दें।
ध्यान रहे की आप के दोनों परों के पंजे इस तरह मुड़े होने चाहिए की आप की तशरीफ़ उस के ऊपर आराम से रखी जा सके। पैरों की दोनों ऐडियों में इस प्रकार से अंतर होना चाहिए जिससे दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से छूने चाहिए।
अब अपनें दोनों हाथों के पंजों को अपनें घुटनों पर लगा दें। दोनों हथेलियाँ (palms) घुटनों की ओर होनी चाहिए)। वज्रासन में बैठ कर शरीर आड़ा-टेड़ा ना करें, शरीर को सीधा रखें।
अच्छी तरह से वज्रासन जमा लेने के बाद अपनें शरीर को मुक्त कर लें (Note- मुक्त करना यानी कमर को और कंधों को बैंड नहीं होने देना है, पर सीधे बैठे हुए ही relax फील करना है।)।
अब अपनें शरीर में गहरी सांस लें। ध्यान रहे की वज्रासन करते वक्त नाक से ही सांस लेनी है। मुह से सांस अंदर ना जाए, इसलिए बातें करते करते इस आसन को ना करें।
अब अपनी आँखें बंद कर के वज्रासन का आनंद लें, और सामान्य गति से सांस लेते रहें और समयान्तर पर सांस बाहर छोड़ते हैं।
शुरुआत में वज्रासन को करने पर पैरों के स्नायुओं में थोड़ा थोड़ा खिचाव महेसूस हो सकता है, पर कुछ दिनों के अभ्यास के बाद एक दम सहजता से यह आसन किया जा सकता है।
तीन से पांच मिनट वज्रासन अभ्यास कर लेने के बाद जिस क्रम में आपनें अपनें घुटनें मौड़े थें उसी क्रम में उन्हे सीधा कर लीजिये। और सामान्य मुद्रा में बैठ जाएं।
वज्रासन की समयसीमा – Time Duration Of Vajrasana
वज्रासन सुबह मेँ खाली पेट भी किया जा सकता है और भोजन के बाद भी किया जा सकता है। शुरुआत मेँ वज्रासन तीन से पाँच मिनट तक करना चाहिए। अभ्यास बढ़ जाने पर इसे अधिक समय तक (दस मिनट तक)भी किया जा सकता है। (Note – पैर दुखने लगें या कमर दर्द होने लगे उतनी देर तक वज्रासन मेँ नहीं बैठना है)
वज्रासन के फायदे – Benefits Of Vajrasana
वज्रासन करने से शरीर का वज़न कम (Weight Loss) करने मेँ सहायता मिलती है। जांघों की चर्बी घट जाती है। नितंब और जांघों का आकार सुडौल और सुंदर बनता है। पेट और कमर से भी अधिक चर्बी (Fat) कम हो जाती है। और पेट का भारी-पन दूर होता है।
वज्रासन करने से पेट के मध्यभाग पर और आंतों पर हल्का दबाव पड़ता है, इसलिए यह आसान पेट के सभी रोगों से मुक्ति पानें के लिए उपयोगी होता है। इस आसन से कब्ज़, गेस, खट्टी डकार, अपचा आदि समस्याएं दूर होती है।
वज्रासन करने से पूरे शरीर मेँ रक्त प्रवाह बेहतर तरीके से होने लगता है। और वज्रासन के नित्य अभ्यास से Sciatica जैसे भयानक रोग से भी मुक्ति मिलती है।
वज्रासन से उच्च रक्तचाप (High Blood pressure) की समस्या दूर हो जाती है। पैरों की मासपेशियाँ शसक्त बनती हैं। और वज्रासन के दौरान सामान्य गति से लंबी गहरी सांसें लेने से फेफड़ों को भी लाभ होता है।
अधिक चरबी और पेट की गैस की वजह से अगर किसी व्यक्ति की तौंद (Bally) बाहर निकल आई हों, तो ऐसे व्यक्ति के नित्य वज्रासन करने से कुछ ही दिनों मेँ पेट अंदर होने लगता है। इस आसन के प्रयोग से एक सप्ताह मेँ एक इंच तक पेट कम हो सकता है।
एकाग्रता (Concentration) शक्ति बढ़ाने के लिए और मन की चंचलता दूर करने के लिए वज्रासन उपयोगी होता है। इस आसन को करने से मानसिक तनाव भी दूर होता है।
कभी कभी पसंदीदा भोजन अधिक मात्रा मेँ खा लेनें की वजह से हृदय के नीचे और पेट के ऊपर दबाव महसूस होता है, इस समस्या को दूर करने के लिए तीन से पाँच मिनट वज्रासन पर बैठना चाहिए।
वज्रासन करने से शरीर की मांसपेशीयां लचीली बनती हैं। और शरीर का मेटाबोलिज़म(Metabolism) दुरुस्त रहता है। वज्रासन करने से Lower Back pain की समस्या दूर ही जाती है।
वज्रासन में सावधानी – Precaution/Side-Effects Of Vajrasana
वज्रासन करने वाले व्यक्ति को यह आसन हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए। टखनें, घुटनें, या एड़ियों पर किसी भी तरह का ऑपरेशन कराया हों, उन्हे यह आसन बिलकुल नहीं करना चाहिए। हड्डियों मेँ कम्पन की बीमारी वाले व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।
वज्रासन करने पर चक्कर आनें लगे, पीठ दर्द होने लगे, टखनें दुखने लगें, घुटनें या शरीर के कोई भी अन्य जौड़ अधिक दर्द करें लगे तो फौरन इस आसन का अभ्यास रोक कर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
हड्डियाँ चटकनें की बीमारी हों या फिर हड्डियों मेँ कमज़ोरी की तकलीफ रहेती हों ऐसे व्यक्तियों को वज्रासन नहीं करना चाहिए। अत्याधिक वज़न वाले व्यक्तियों को वज्रासन योगा विशेषज्ञ की देख रेख मेँ ही करना चाहिए ताकि कुछ गड़बड़ी होने पर फौरन सहायता मिल सके।
गर्भवती महिलाओं को वज्रासन बिलकुल “नहीं” करना चाहिए।
वज्रासन कैसे करें
Reviewed by Anatomy Secrets
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