सूर्य नमस्कार के 12 आसन | 12 Steps of Surya Namaskar in Hindi
'सूर्य नमस्कार' का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है।
अच्छे स्वास्थ्य के अतिरिक्त सूर्य नमस्कार धरती पर जीवन के संरक्षण के लिए हमें सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी देता है। अगले 10 दिनों के लिए अपना दिन, मन में सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार और कृपा का भाव रखकर प्रारंभ करें।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन | 12 Steps of Surya Namaskar in Hindi:
1. प्रणाम आसन | Prayer pose
2. हस्तउत्तानासन |Raised Arms pose
2. हस्तउत्तानासन |Raised Arms pose
3. हस्तपाद आसन |Hand to Foot pose
4. अश्व संचालन आसन | Equestrian pose
5. दंडासन |Dandasana (Stick pose)
6. अष्टांग नमस्कार | Ashtanga Namaskara (Salute With Eight Parts Or Points)
7.भुजंग आसन | Bhujangasana (Cobra pose)
8. पर्वत आसन | Parvatasana (Mountain pose)
9. अश्वसंचालन आसन | Ashwa Sanchalanasana (Equestrian pose)
10. हस्तपाद आसन | Hasta Padasana (Hand to Foot pose)
11. हस्तउत्थान आसन | Hastauttanasana (Raised Arms pose)
12. ताड़ासन | Tadasana
4. अश्व संचालन आसन | Equestrian pose
5. दंडासन |Dandasana (Stick pose)
6. अष्टांग नमस्कार | Ashtanga Namaskara (Salute With Eight Parts Or Points)
7.भुजंग आसन | Bhujangasana (Cobra pose)
8. पर्वत आसन | Parvatasana (Mountain pose)
9. अश्वसंचालन आसन | Ashwa Sanchalanasana (Equestrian pose)
10. हस्तपाद आसन | Hasta Padasana (Hand to Foot pose)
11. हस्तउत्थान आसन | Hastauttanasana (Raised Arms pose)
12. ताड़ासन | Tadasana
सूर्य नमस्कार करने की विधि | How to do Surya Namaskar in Hindi
1. प्रणाम आसन
अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखें।
श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।
2. हस्तउत्तानासन
श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।
2. हस्तउत्तानासन
श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर पेशियों (बाइसेप्स) को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
अपने कूल्हे को आगे की तरफ धकेल कर यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगलियों के साथ ऊपर की ओर जा रहे हैं ना कि पीछे की तरफ मुड़ रहे हैं।
3. अश्व संचालन आसन
3. अश्व संचालन आसन
श्वास छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजो के समीप ज़मीन पर रखें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
हथेलियों को ज़मीन तक लाने में अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं, और अब घुटनों को सीधा करने का एक सौम्य प्रयास करें। जब तक सूर्य नमस्कार का यह क्रम पूरा ना हो जाए तब तक अपने हाथों की इस स्थिति को इसी स्थान पर स्थिर रखें।
4. हस्तपाद आसन
4. हस्तपाद आसन
श्वास लेते हुए जितना संभव हो दाहिना पैर पीछे ले जाएँ, दाहिने घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं, दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाएँ।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
सुनिश्चित करें कि बायां पैर दोनों हथेलिओं के बीच में रहे।
5. दंडासन
5. दंडासन
श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
अपने हाथ ज़मीन के लंबवत रखें।
6. अष्टांग नमस्कार
आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें। अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ I पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ।
अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।
7. भुजंग आसन
अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।
7. भुजंग आसन
आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँI कुहनियाँ मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
श्वास लेते हुए छाती को आगे की तरफ धकेलने का सौम्य प्रयास करें। श्वास छोड़ते हुए नाभि को सहजता से नीचे की ओर दबाएँI पैरों की उंगलियों को भी नीचे की तरफ दबाएँ। यह सुनिश्चित करें कि जितना कर सकते हैं उतना ही करें, अपने साथ ज़बरदस्ती ना करें।
8. पर्वत आसन
8. पर्वत आसन
श्वास छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) के आकार में आ जाएँ।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
यदि संभव हो तो एड़ियों को ज़मीन पर ही रखें और रीढ़ के निचले भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करें। खिंचाव को गहराई से अनुभव करें।
9. अश्वसंचालन आसन
9. अश्वसंचालन आसन
श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। दृष्टि ऊपर की ओर रखेंI
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
दाहिने पंजे को दोनो हाथों के बीच में रखें और दाहिनी पिंडली को ज़मीन के लंबवत रखेंI कूल्हों को नीचे की तरफ ले जाने का प्रयास करें ताकि खिंचाव को गहराता हुआ अनुभव किया जा सके।
10. हस्तपाद आसन
10. हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने दें। अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
धीरे से घुटनों को सीधा करें और अगर संभव हो तो अपनी नाक से घुटनों को छूने का प्रयास करें, और श्वास लेते रहें।
11. हस्तउत्थान आसन
11. हस्तउत्थान आसन
श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।
इस योग आसन को और प्रभावी कैसे बनाएँ?
सुनिश्चित करें कि कान बाजू से सटे हों और खिंचाव ऊपर की ओर हो, न कि पीछे की ओर।
12. ताड़ासन
12. ताड़ासन
श्वास छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें फिर हाथों को नीचे लाएँI इस अवस्था में विश्राम करें और शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजगता ले आएँ।
सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर (विभिन्न आसनो से), मन (मणिपुर चक्र से) और आत्मा ( मंत्रोच्चार से) सबल होते हैं। पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नही है। सूर्य नमस्कार, सूर्य के प्रति सम्मान व आभार प्रकट करने की एक प्राचीन विधि है, जो कि पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों का स्रोत है।
सूर्य नमस्कार करने की विधि ही जानना पर्याप्त नहीं है, इस प्राचीन विधि के पीछे का विज्ञान समझना भी आवश्यक है। इस पवित्र व शक्तिशाली योगिक विधि की अच्छी समझ, इस विधि के प्रति उचित सोच व धारणा प्रदान करती है। ये सूर्य नमस्कार की सलाहें आपके अभ्यास को बेहतर बनाती है और सुखकर परिणाम देती है।
भारत के प्राचीन ऋषियों के द्वारा) ऐसा कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाए या दिव्य प्रकाश) के द्वारा संचालित होते है। मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित है। सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अन्तर्ज्ञान बढ़ते हैं। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए इतना बल दिया।
बच्चो को सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए? | Why Should Children Do Surya Namaskar?
सूर्य नमस्कार मन शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है। आजकल बच्चे महती प्रतिस्पर्धा का सामना करते है। इसलिए उन्हे नित्यप्रति सूर्य नमस्कार करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी सहनशक्ति बढ़ती है और परीक्षा के दिनों की चिंता और असहजता कम होती है।
सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में शक्ति और ओज की वृद्धि होती है। यह मांसपेशियों का सबसे अच्छा व्यायाम है और हमारे भविष्य के खिलाड़ियों के मेरुदण्ड और अंगो के लचीलेपन को बढ़ता है। 5 वर्ष तक के बच्चे नियमित सूर्य नमस्कार करना प्रारंभ कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन | 12 Steps of Surya Namaskar in Hindi
Reviewed by Anatomy Secrets
on
01:52
Rating:
No comments:
please comment here