धनुरासन की सम्पूर्ण जानकारी
धनुरासन की सम्पूर्ण जानकारी – Dhanurasana Yoga (The Bow Pose) Guide
धनुरासन करने पर शरीर “धनुष” आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन धनुरासन कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगआसन (Snake Pose), उसके बाद शलभासन (Locust Pose), और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow Pose) करना चाहिए। कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को “योगासनत्रयी” कह कर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वज़न नियंत्रित करना हों या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।
धनुरासन की सम्पूर्ण जानकारी – Dhanurasana Yoga (The Bow Pose) Guide
धनुरासन करने पर शरीर “धनुष” आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन धनुरासन कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगआसन (Snake Pose), उसके बाद शलभासन (Locust Pose), और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow Pose) करना चाहिए। कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को “योगासनत्रयी” कह कर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वज़न नियंत्रित करना हों या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।
धनुरासन कैसे करें – How To Do Dhanurasana/Bow Pose (Steps)
सर्वप्रथम किसी स्वच्छ आराम दायक और समतल जगह का चुनाव कर लें, उसके पश्चात चटाई (Yoga Mat) बिछा कर बैठ जाएँ। (Note – कोई भी आसन खुली हवा में आसन करने से अधिक लाभ मिलता है।)।
धनुरासन शुरू करने के लिए, सब से पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाइए। फिर अपनी ठोड़ी (Chin) ज़मीन पर लगा दीजिये। अपनें दोनों हाथों को पैरों की दिशा में लंबा कर के कमर के पास ज़मीन पर रखें। आप के दोनों हाथों की हथेलियाँ (Palms) आकाश की और मुड़ी होनी चाहिए।
अब आगे, अपनें दोनों घुटनो को मौड़ कर दोनों पैर ऊपर उठाएँ। जब आप के पैरों की दोनों एड़िया दोनों कूल्हों तक आ जाएं तब अपनें दोनों हाथों से अपनें दोनों पैरों के टखनें पकड़ लें।
याद रहे कि पैरों के टखनों को पकड़ते वक्त हाथ दोनों कुहनियों से सीधे रहने चाहिए।
अब धीरे धीरे शरीर के अंदर गहरी सांस भरते हुए अपनें दोनों पैरों को पीछे की ओर खींचे। और उसी के साथ साथ अपनें दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाने का प्रयत्न करें। (Note- कूल्हों को ऊपर उठाते हुए भी श्वास अंदर लेना है)।
जब आप दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठा रहें हो, उसी के साथ साथ अपनी छाती (Chest) और गरदन (Neck) को भी ज़मीन से ऊपर उठा ते रहें।
छाती पूरी तरह से ऊपर उठ जाए तब अपनी ऊपर उठी हुई गर्दन को पीछे की और हो सके उतना ले जाने का प्रयत्न करें। (Nore- गर्दन में दर्द होने लगे उतना अधिक प्रयास नहीं करना है)।
यथा संभव इस मुद्रा में कुछ समय टिके रहने का प्रयास करें (दस से बीस सेकंड)। उसके बाद धीरे धीरे कूल्हों और जांघों को ज़मीन की ओर ले आयें। और साथ साथ अपने शरीर के आगे के भाग, यानि छाती और सिर को भी ज़मीन पर ले आयें।
अब दोनों हाथों के द्वारा पकड़ी हुई एड़ियों को मुक्त करें और आसन शुरू करते वक्त हाथ जिस मुद्रा में थे, वैसे ही उन्हे ज़मीन पर रख दें।
धीरे धीरे दोनों मुड़े हुए घुटने सीधे कर लें और दोनों पैरों को पहले की तरह ज़मीन पर रख दें। (Note- जब आप धनुरासन की मुद्रा से मुक्त हो रहें हों, यानि सिर, छाती, जांघे और कूल्हे नीचे ज़मीन पर ला रहे हों तब श्वास शरीर के बाहर छोड़नी है।)।
अंत में पेट के बल थोड़ी देर वैसे ही लेते रहे। और थकान दूर होने पर दूसरा सेट शुरू करें। और तीन सेट कर लेने के बाद “शवासन” में विश्राम कर लें।
धनुरासन करने पर नए व्यक्ति को कूल्हे तथा जांघे उठाने में दिक्कत हो सकती है| ऐसे व्यक्ति अभ्यास बढ़ने तक, शरीर का आगे का भाग यानि छाती और गर्दन उठाने और अपनें दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ियाँ पकड़ कर हाथ सीधे रखने की क्रिया से इस आसन की शुरुआत करनी चाहिए। और फिर जब इस “सरल धनुरासन” में अभ्यास बढ़ जाए तब जांघों और कूल्हों को उठानें का अभ्यास आरंभ करना चाहिए।
धनुरासन के फायदे – Benefits Of Dhanurasana
यह आसन रीड़ की हड्डी मज़बूत और लचीली बनाता है। सामान्य कमर दर्द दूर कर देता है।
धनुरासन करने से शरीर की पाचनप्रणाली मज़बूत बनती है। पेट से जुड़े जटिल रोग जैसे की एसिडिटी, अजीर्ण गैस, खट्टी डकार और सामान्य पेट दर्द दूर होते हैं।
धनुरासन करने से सम्पूर्ण शरीर के सभी स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। शरीर फुर्तीला बनता है, शरीर पर जमा हुआ फैट / चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।
धनुरासन करने से छाती, जांघें और कंधे मज़बूत बनते हैं।
स्त्रीयों की मासिक चक्र से संबन्धित समस्याओं को दूर करने के लिए धनुरासन परम लाभदायी होता है।
धनुरासन के लिए समय सीमा – Duration Of DhanurasanaAnatomy Secrets
धनुरासन खाली पेट और सुबह के समय में करना चाहिए। धनुरासन की मुद्रा में आ जाने के बाद दस से बीस सेकंड तक उसी मुद्रा में शक्ति अनुसार रुकने का प्रयत्न करना चाहिए। अगर सांस रोक सके तो धनुरासन मुद्रा में होने के समय, शरीर में भरी हुई सांस रोक कर इस आसन को किया जा सकता है। धनुरासन मुद्रा में पहुचने के बाद, सामान्य गति से सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया के साथ भी किया जा सकता है। यह आसन दो से तीन बार करना चाहिए। (Note- 10 से 20 सेकंड का एक सेट, ऐसे तीन सेट)।
धनुरासन में सावधानी – Precaution / Side Effects Of Dhanurasana
गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन पूरी तरह से वर्जित है। कमर से जुड़ी गंभीर समस्या हों उन्हे यह आसन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।
पेट में अल्सर हों, उन्हे यह आसन हानी कारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति यह आसन ना करें। सिर दर्द की शिकायत रहती हों, उन्हे भी धनुरासन नहीं करना चाहिए।
आंतों की बीमारी हों या फिर रीड़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हों उन्हे भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
गर्दन में गंभीर चोट लगी हों, या फिर माईग्रेन की समस्या हों, तो यह आसन ना करें।
सारण गाठ (Hernia) रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन हानिकारक होता है।
धनुरासन करने पर शरीर के किसी भी अंग में अत्याधिक पीड़ा होने लगे तो तुरंत आसन रोक कर डॉक्टर के पास जाएं। हो सके तो यह आसन किसी योगा टीचर की निगरानी में सीख कर करें। धनुरासन की समय सीमा धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
धनुरासन करने पर शरीर “धनुष” आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन धनुरासन कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगआसन (Snake Pose), उसके बाद शलभासन (Locust Pose), और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow Pose) करना चाहिए। कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को “योगासनत्रयी” कह कर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वज़न नियंत्रित करना हों या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।
धनुरासन की सम्पूर्ण जानकारी – Dhanurasana Yoga (The Bow Pose) Guide
धनुरासन करने पर शरीर “धनुष” आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन धनुरासन कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक होता है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगआसन (Snake Pose), उसके बाद शलभासन (Locust Pose), और अंत में तीसरा धनुरासन (The Bow Pose) करना चाहिए। कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को “योगासनत्रयी” कह कर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक होता है। वज़न नियंत्रित करना हों या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।
धनुरासन कैसे करें – How To Do Dhanurasana/Bow Pose (Steps)
सर्वप्रथम किसी स्वच्छ आराम दायक और समतल जगह का चुनाव कर लें, उसके पश्चात चटाई (Yoga Mat) बिछा कर बैठ जाएँ। (Note – कोई भी आसन खुली हवा में आसन करने से अधिक लाभ मिलता है।)।
धनुरासन शुरू करने के लिए, सब से पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाइए। फिर अपनी ठोड़ी (Chin) ज़मीन पर लगा दीजिये। अपनें दोनों हाथों को पैरों की दिशा में लंबा कर के कमर के पास ज़मीन पर रखें। आप के दोनों हाथों की हथेलियाँ (Palms) आकाश की और मुड़ी होनी चाहिए।
अब आगे, अपनें दोनों घुटनो को मौड़ कर दोनों पैर ऊपर उठाएँ। जब आप के पैरों की दोनों एड़िया दोनों कूल्हों तक आ जाएं तब अपनें दोनों हाथों से अपनें दोनों पैरों के टखनें पकड़ लें।
याद रहे कि पैरों के टखनों को पकड़ते वक्त हाथ दोनों कुहनियों से सीधे रहने चाहिए।
अब धीरे धीरे शरीर के अंदर गहरी सांस भरते हुए अपनें दोनों पैरों को पीछे की ओर खींचे। और उसी के साथ साथ अपनें दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाने का प्रयत्न करें। (Note- कूल्हों को ऊपर उठाते हुए भी श्वास अंदर लेना है)।
जब आप दोनों जांघों को और कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठा रहें हो, उसी के साथ साथ अपनी छाती (Chest) और गरदन (Neck) को भी ज़मीन से ऊपर उठा ते रहें।
छाती पूरी तरह से ऊपर उठ जाए तब अपनी ऊपर उठी हुई गर्दन को पीछे की और हो सके उतना ले जाने का प्रयत्न करें। (Nore- गर्दन में दर्द होने लगे उतना अधिक प्रयास नहीं करना है)।
यथा संभव इस मुद्रा में कुछ समय टिके रहने का प्रयास करें (दस से बीस सेकंड)। उसके बाद धीरे धीरे कूल्हों और जांघों को ज़मीन की ओर ले आयें। और साथ साथ अपने शरीर के आगे के भाग, यानि छाती और सिर को भी ज़मीन पर ले आयें।
अब दोनों हाथों के द्वारा पकड़ी हुई एड़ियों को मुक्त करें और आसन शुरू करते वक्त हाथ जिस मुद्रा में थे, वैसे ही उन्हे ज़मीन पर रख दें।
धीरे धीरे दोनों मुड़े हुए घुटने सीधे कर लें और दोनों पैरों को पहले की तरह ज़मीन पर रख दें। (Note- जब आप धनुरासन की मुद्रा से मुक्त हो रहें हों, यानि सिर, छाती, जांघे और कूल्हे नीचे ज़मीन पर ला रहे हों तब श्वास शरीर के बाहर छोड़नी है।)।
अंत में पेट के बल थोड़ी देर वैसे ही लेते रहे। और थकान दूर होने पर दूसरा सेट शुरू करें। और तीन सेट कर लेने के बाद “शवासन” में विश्राम कर लें।
धनुरासन करने पर नए व्यक्ति को कूल्हे तथा जांघे उठाने में दिक्कत हो सकती है| ऐसे व्यक्ति अभ्यास बढ़ने तक, शरीर का आगे का भाग यानि छाती और गर्दन उठाने और अपनें दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ियाँ पकड़ कर हाथ सीधे रखने की क्रिया से इस आसन की शुरुआत करनी चाहिए। और फिर जब इस “सरल धनुरासन” में अभ्यास बढ़ जाए तब जांघों और कूल्हों को उठानें का अभ्यास आरंभ करना चाहिए।
धनुरासन के फायदे – Benefits Of Dhanurasana
यह आसन रीड़ की हड्डी मज़बूत और लचीली बनाता है। सामान्य कमर दर्द दूर कर देता है।
धनुरासन करने से शरीर की पाचनप्रणाली मज़बूत बनती है। पेट से जुड़े जटिल रोग जैसे की एसिडिटी, अजीर्ण गैस, खट्टी डकार और सामान्य पेट दर्द दूर होते हैं।
धनुरासन करने से सम्पूर्ण शरीर के सभी स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। शरीर फुर्तीला बनता है, शरीर पर जमा हुआ फैट / चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।
धनुरासन करने से छाती, जांघें और कंधे मज़बूत बनते हैं।
स्त्रीयों की मासिक चक्र से संबन्धित समस्याओं को दूर करने के लिए धनुरासन परम लाभदायी होता है।
धनुरासन के लिए समय सीमा – Duration Of DhanurasanaAnatomy Secrets
धनुरासन खाली पेट और सुबह के समय में करना चाहिए। धनुरासन की मुद्रा में आ जाने के बाद दस से बीस सेकंड तक उसी मुद्रा में शक्ति अनुसार रुकने का प्रयत्न करना चाहिए। अगर सांस रोक सके तो धनुरासन मुद्रा में होने के समय, शरीर में भरी हुई सांस रोक कर इस आसन को किया जा सकता है। धनुरासन मुद्रा में पहुचने के बाद, सामान्य गति से सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया के साथ भी किया जा सकता है। यह आसन दो से तीन बार करना चाहिए। (Note- 10 से 20 सेकंड का एक सेट, ऐसे तीन सेट)।
धनुरासन में सावधानी – Precaution / Side Effects Of Dhanurasana
गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन पूरी तरह से वर्जित है। कमर से जुड़ी गंभीर समस्या हों उन्हे यह आसन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।
पेट में अल्सर हों, उन्हे यह आसन हानी कारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति यह आसन ना करें। सिर दर्द की शिकायत रहती हों, उन्हे भी धनुरासन नहीं करना चाहिए।
आंतों की बीमारी हों या फिर रीड़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हों उन्हे भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
गर्दन में गंभीर चोट लगी हों, या फिर माईग्रेन की समस्या हों, तो यह आसन ना करें।
सारण गाठ (Hernia) रोग से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन हानिकारक होता है।
धनुरासन करने पर शरीर के किसी भी अंग में अत्याधिक पीड़ा होने लगे तो तुरंत आसन रोक कर डॉक्टर के पास जाएं। हो सके तो यह आसन किसी योगा टीचर की निगरानी में सीख कर करें। धनुरासन की समय सीमा धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
धनुरासन की सम्पूर्ण जानकारी
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