शलभासन योग से रामबाण इलाज
शलभासन | Salabhasana
शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) कीट की तरह होने से, इसे शलभासन(Locust Pose) कहा जाता हैं। कमर और पीठ के मजबूत करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। शलभासन करने की प्रक्रिया और लाभ नीचे दिए गए हैं :
शलभासन करने की प्रक्रिया | How to do Salabhasana
साँसअंदर लेते हुए अपना दायाँ पैर उठाएँ। पैर को सीधा रखें। ध्यान दे कि कूल्हे पर झटका न आये।
रोकें (स्थिति को बनाये रखें) और साँस लेते रहे।
साँस छोड़ें और अपने दाएँ पैर को नीचे रखें।
प्रक्रिया अपने बाएँ पैर के साथ दोहराएँ। 2-3 गहरी लंबी साँसे लें।
दोनों हाथों की मुठ्ठी बनाकर अपने जंघा के नीचे रख दे।
साँस अंदर लेते हुए और दोनों घुटनों को सीधा रखते हुए, कुछ गति के साथ दोनों पैरों को जितना हो सकता है उतना उपर उठाएँ।
धनुरासन करने का तरीका | How to do Dhanurasana
पेट के बल लेटकर, पैरो मे नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएँ और घुटिका को हाथों से पकड़ें।
श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएँ और पैरों को कमर की ओर खींचें।
चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
श्वासोश्वास पर ध्यान रखे हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ हैl
लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, आसन में विश्राम करें।
सावधानी बरतें आसन आपकी क्षमता के अनुसार ही करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को ना कसें।
15-20 सैकन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे धीरे ज़मीन पर वापस लाएँl घुटिका को छोड़ेते हुए विश्राम करें।
धनुरासन के लाभ | Benefits of Dhanurasana
पीठ / रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना।
जननांग संतुलित रखना।
छाती, गर्दन और कंधोँ की जकड़न दूर करना।
हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि देना।
रीढ़ की हड्डी क़ो लचीला बनाना।
तनाव और थकान से निजाद।
मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।
गुर्दे के कार्य में सुव्यवस्था।
धनुरासन के अंतर्विरोध | Contraindications of Dhanurasana
ये ना करें --
यदि आप को उच्च या निम्न रक्तदाब, हर्निया, कमर दर्द, सिर दर्द, माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द), गर्दन में चोट/क्षति, या हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो आप कृपया धनुरासन ना आजमाएँ ।
गर्भवती महिलाएँ धनुरासन का अभ्यास ना करें।
शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) कीट की तरह होने से, इसे शलभासन(Locust Pose) कहा जाता हैं। कमर और पीठ के मजबूत करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। शलभासन करने की प्रक्रिया और लाभ नीचे दिए गए हैं :
शलभासन करने की प्रक्रिया | How to do Salabhasana
साँसअंदर लेते हुए अपना दायाँ पैर उठाएँ। पैर को सीधा रखें। ध्यान दे कि कूल्हे पर झटका न आये।
रोकें (स्थिति को बनाये रखें) और साँस लेते रहे।
साँस छोड़ें और अपने दाएँ पैर को नीचे रखें।
प्रक्रिया अपने बाएँ पैर के साथ दोहराएँ। 2-3 गहरी लंबी साँसे लें।
दोनों हाथों की मुठ्ठी बनाकर अपने जंघा के नीचे रख दे।
साँस अंदर लेते हुए और दोनों घुटनों को सीधा रखते हुए, कुछ गति के साथ दोनों पैरों को जितना हो सकता है उतना उपर उठाएँ।
धनुरासन करने का तरीका | How to do Dhanurasana
पेट के बल लेटकर, पैरो मे नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएँ और घुटिका को हाथों से पकड़ें।
श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएँ और पैरों को कमर की ओर खींचें।
चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
श्वासोश्वास पर ध्यान रखे हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ हैl
लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, आसन में विश्राम करें।
सावधानी बरतें आसन आपकी क्षमता के अनुसार ही करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को ना कसें।
15-20 सैकन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे धीरे ज़मीन पर वापस लाएँl घुटिका को छोड़ेते हुए विश्राम करें।
धनुरासन के लाभ | Benefits of Dhanurasana
पीठ / रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना।
जननांग संतुलित रखना।
छाती, गर्दन और कंधोँ की जकड़न दूर करना।
हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि देना।
रीढ़ की हड्डी क़ो लचीला बनाना।
तनाव और थकान से निजाद।
मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।
गुर्दे के कार्य में सुव्यवस्था।
धनुरासन के अंतर्विरोध | Contraindications of Dhanurasana
ये ना करें --
यदि आप को उच्च या निम्न रक्तदाब, हर्निया, कमर दर्द, सिर दर्द, माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द), गर्दन में चोट/क्षति, या हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो आप कृपया धनुरासन ना आजमाएँ ।
गर्भवती महिलाएँ धनुरासन का अभ्यास ना करें।
शलभासन योग से रामबाण इलाज
Reviewed by Anatomy Secrets
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